बाल विवाह पर नाटक Pdf | Bal Vivah Par Natak Pdf

हे दोस्तों, आशा है आप सभी बढियाँ होंगे। आज इस पोस्ट में हम आपको Bal Vivah Par Natak Script in Hindi देने जा रहे हैं, आप इसे नीचे की लिंक से फ्री डाउनलोड कर सकते हैं।

 

 

 

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2- दहेज प्रथा पर नाटक PDF

 

3- शिक्षा पर नाटक Pdf

 

 

 

Note – अब हम नाटक की शुरुआत करने जा रहे हैं। आप इसे पढ़ भी सकते हैं और डाउनलोड भी कर सकते हैं और इसे प्ले में भी प्रयोग कर सकते हैं, लेकिन आप इस नाटक को किसी ब्लॉग या वेबसाइट पर नहीं लिख सकते हैं। 

 

 

 

 

 

 

कैरेक्टर 1 – गुड़िया ( 12 साल की बच्ची )

 

कैरेक्टर 2 – गुड़िया के पापा

 

करेक्टर 3 – गुड़िया की मम्मी

 

कैरेक्टर 4 – दूल्हा

 

कैरेक्टर 5 – दूल्हे के पिता

 

करेक्टर 6 – बिचौलिया

 

कैरेक्टर 7 – सीमा दीदी ( N.G.O. संचालिका )

 

कैरेक्टर 8 – पुलिस ऑफिसर

 

कैरेक्टर 9 – हवलदार

 

 

गुड़िया के पापा – गुड़िया यह कॉपी – किताब रख दो, कुछ चौका – बेलन का काम सीख लो, तुम्हारा विवाह तय हो गया है।

 

गुड़िया ( आश्चर्य से ) – पापा, शादी ? अभी मेरी उम्र ही क्या है ? अभी तो मैं पढ़ना चाहती हूँ, कुछ बनना चाहती हूँ।

 

गुड़िया के पापा – जितना कह रहा हूँ, उतना सुन। जा रोटी – वोटी बनाना सीख। बड़ी आयी पढ़ने वाली।

 

गुड़िया अपने माँ से – माँ, पिताजी को समझाओ न, अभी मेरी उम्र ही क्या है ? वो मेरी शादी की बात कर रहे हैं।

 

गुड़िया की माँ – बेटी, तेरे पिताजी की बात मैं नहीं टाल सकती हूँ और मेरी भी शादी तेरे ही उम्र में हो गयी थी और बेटियां तो पराया धन होती है।

 

गुड़िया – माँ वह दौर कुछ और था और यह दौर कुछ और है। आज के समय में लडकिया आसमान छू रही हैं, ट्रेन चला रही हैं, पुलिस और सेना में शामिल हो रही हैं।

 

गुड़िया की माँ – चाहे कुछ हो, हमारे समाज में बेटियों की शादी जल्दी ही हो जाती है।

 

गुड़िया – तो क्या हर समाज की बेटियां अलग होती है ? बेटियां तो बेटियां होती हैं।

 

गुड़ियाँ की माँ – वह मैं कुछ नहीं जानती। तेरे पापा जो कह रहे हैं, वह तुझे करना होगा बस।

 

गुड़िया ( कुछ सोचकर ) – ठीक है, लेकिन आज तो मुझे स्कूल जाने दो।

 

गुड़िया की माँ – ठीक है, लेकिन सिर्फ आज ही।

 

( गुड़िया ठीक है कहकर स्कूल के लिए जाती है, लेकिन वह N.G.O. संचालिका सीमा दीदी के पास जाती है और उन्हें पूरी बात बताती है। )

 

 

अगले दिन 

 

 

बिचौलिया, दूल्हा और दूल्हे के पिता गुड़िया के घर आते हैं।

 

 

बिचौलिया – और भाई साहब अपनी बेटी को लाओ। कुछ रस्मे पूरी करके उसे विदा करो।

 

गुड़िया आती है और बिचौलिया से हाथ जोड़कर कहती है – अभी मेरी उम्र ही क्या है। मैं अभी शादी नहीं करना चाहती हूँ। मैं पढ़ना चाहती हूँ।

 

बिचौलिया – भाई साहब, अब यह क्या नाटक है। अरे छोरी को विदा करो। क्या पढ़ाई की रट लगा रखी है।

 

दूल्हे के पिता – ओ छोरी, लडकिया पढ़ाई में नहीं चूल्हे – चौके पर अच्छी लगती हैं, चल और गृहस्थी संभाल।

 

(वो लोग गुड़िया को जबरदस्ती ले जाने लगते हैं और तभी सीमा दीदी की पुलिस के साथ एंट्री होती है। )

 

सीमा दीदी – गुड़िया कही नहीं जायेगी, तुम लोग जाओगे…वह भी जेल। क्या आप लोग को यह नहीं पता कि बाल विवाह अपराध है। आप किसी की जिंदगी खराब कर रहे हैं, आपको यह हक़ किसने दिया। आज बेटियां देश का हर क्षेत्र में नाम रौशन कर रही है और आप लोग बाल – विवाह को प्रथा बता रहे हैं। जो चीजे गलत हैं, जो प्रथाएं गलत हैं उन्हें अब बंद करने का वक्त आ गया है।

 

 

बिचौलिया – आप यह गलत कर रही हैं।

 

पुलिस ऑफिसर – चल थाने में फिर तुम्हे बताऊंगा कि कौन गलत कर रहा है।

 

सीमा दीदी ( ऑडियंस से मुखातिब होते हुए ) – आप लोगों से हाथ जोड़कर निवेदन है इस बाल – विवाह प्रथा को रोकें। आज बेटियों का भविष्य आपके हाथ में है उसे बता लें। याद रखें बेटियां हैं तो कल है। 

 

 

 

 

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हमें पूरी उम्मीद है कि आपको यह नाटक स्क्रिप्ट बेहद पसंद आयी होगी। अगर आपको कुछ और भी या किसी अन्य टॉपिक पर नाटक स्क्रिप्ट चाहिए तो आप हमें कमेंट कर सकते हैं।

 

 

 

 

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