सामाजिक समस्या पर नुक्कड़ नाटक Script हिंदी में

आज की पोस्ट में हम आपको सामाजिक समस्या पर नाटक स्क्रिप्ट देने जा रहे हैं, आप इसे नीचे पढ़ सकते हैं और इसका आप नाटक या वीडियो में प्रयोग भी कर सकते हैं, लेकिन इस स्क्रिप्ट को आप किसी ब्लॉग या वेबसाइट के लिए प्रयोग नहीं कर सकते हैं।

 

 

 

 

 

 

पात्र 1 – किरन (ग्राम प्रधान)

 

 

पात्र 2 – रीता (सामाजिक कार्यकत्री)

 

 

पात्र 3 – रजिया (मेड वाईफ)

 

 

पात्र 4 – रेहाना (सामाजिक कार्यकत्री)

 

 

स्थान – किरन का घर।

 

 

समय – शाम का।

 

 

किरन – आओ, रेहाना स्वागत है आपका! क्या रीता नहीं आई?

 

 

रेहाना – वह भी आ रही है देखो।

 

 

(रीता का आगमन)

 

 

किरन – आज आप लोगो ने किस किस बात का निपटारा किया है।

 

 

रेहाना – आपका मतलब?

 

 

किरन – मेरा मतलब यह है कि आप दोनों सामाजिक कार्यकत्री है तो किन किन सामाजिक समस्याओ को सुलझाया।

 

 

रीता – एक समस्या हो तो बताया जाय, यहाँ तो अनेको समस्याएं मुंह खोले खड़ी है। आप तो ग्राम प्रधान है, हमसे बेहतर आप जान सकती है।

 

 

(रजिया का आगमन)

 

 

किरन – आओ, रजिया! स्वागत है आपका।

 

 

रजिया – आप तीनो किसी बात पर चर्चा कर रही थी।

 

 

किरन – हां! सामाजिक समस्याओ पर बात हो रही थी।

 

 

रीता – कोई भी समय तब उठती खड़ी होती है जब उसे अनदेखा किया जाता है।

 

 

रजिया – आपके कहने का मतलब?

 

 

रेहाना – मैं, बताती हूँ आपको।

 

 

रजिया – हां, आप बताओ, आप सामाजिक कार्यकत्री है। रोज ही आपको कई प्रकार की सामाजिक समस्याओ को सुलझाने के लिए समय देना पड़ता होगा।

 

 

रीता – हां! एक समस्या हल नहीं हुई, तब तक दूसरी खड़ी हो जाती है।

 

 

रेहाना – हमारे विचार से यदि सभी लोग अपने दायित्व का निर्वाह करे तो सभी समस्या का अंत हो सकता है।

 

 

रजिया – विस्तार से समझाओ।

 

 

किरन – मैंअपना अनुभव बता रही हूँ, ग्राम प्रधान होने के नाते मुझे इन समस्याओ से रोज दो चार होना पड़ता है। अभी कल ही गांव में ‘कचरे’ को लेकर दो पक्ष आमने सामने आ गए थे जबकि कचरे के लिए एक निश्चित स्थान बना हुआ है।

 

 

रजिया – क्या समस्या हल हुई?

 

 

किरन – बात, हमारे तक आ गयी।

 

 

रेहाना – आपने क्या किया?

 

 

किरन – पूरी बात सुनने के बाद मैंने अनुचित पक्ष को 500 रुपये का जुरमाना लगाते हुए कचरा हटवा दिया।

 

 

रीता – अब, उन लोगो को समझ में आ गया होगा क्योकि आज भी 500 रुपये की बहुत कीमत है।

 

 

रेहाना – गांव हो या शहर सभी एक जैसे है।

 

 

रजिया – नहीं, गांव और शहर में ‘बराबरी’ नहीं हो सकती है।

 

 

रेहाना – मेरा मतलब था कि गांव और शहर के आदमी के स्वाभाव में कोई भी फर्क नहीं है यहां तक कि भाड़े पर रहने वाले लोग भी एक दूसरे को अपने स्वभाव से परेशान करते रहते है।

 

 

किरन – आप बिलकुल सही कह रही है।

 

 

रीता – अभी कल की बात है, बाजार में एक आदमी की दुकान के सामने किसी व्यक्ति गाड़ी खड़ी कर दिया साथ ही सामान से भरा बोरा भी रख दिया।

 

 

रेहाना – तब तो दुकानदार गुस्सा हो गया होगा।

 

 

रीता – उस दुकानदार का क्रोध करना स्वाभाविक था।

 

 

किरन – फिर समस्या कैसे हल हुई।

 

 

रीता – हर बार की तरह (गाली, गलौज, मारपीट के साथ) खत्म हुई चूँकि गलती गाड़ी वाले की थी इसलिए दुकान वाला भारी पड़ गया गाड़ी वाले को पुलिस ले गई।

 

 

रजिया – आप लोगो ने कुछ नहीं किया क्या?

 

 

रेहाना – हम लोगो के सपोर्ट से ही दुकान वाला सफल हो गया।

 

 

किरन – सब मिलाकर देखा जाय तो आदमी अपने दायित्व का पालन करने लगे तब सभी प्रकार की सामाजिक समस्या स्वतः ही सुलझ जाएगी।

 

 

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मुझे पूरी उम्मीद है कि आपको यह स्क्रिप्ट जरूर पसंद आयी होगी तो इस तरह की बेहतरीन स्क्रिप्ट्स के लिए इस ब्लॉग से जुड़े रहें।

 

 

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