शिक्षा का महत्व क्या है ? आखिर शिक्षा क्यों जरुरी है ? आज का नाटक इसी पर आधारित है। आप इस नाटक स्क्रिप्ट को नीचे पढ़िए।
पात्र 1 – प्रताप (प्रोफेसर)
पात्र 2 – जीतू (व्यापारी)
पात्र 3 – मोहन (नौकरी करने वाला व्यक्ति)
स्थान – मोहन का घर, दरवाजे पर चारपाई कुर्सी आदि पड़ी है।
(प्रताप, बनारस से आया हुआ है सुबह के समय टहलते हुए मोहन के घर पहुंचता है)
प्रताप – अरे, यहां तो कोई दिखाई नहीं दे रहा है।
(आवाज सुनकर मोहन बाहर निकलता है)
मोहन (प्रताप को देखकर) – प्रणाम, भईया! आप बनारस से कब आये?
प्रताप – अभी, आधा घंटा पहले ही आया हूँ बनारस से, सोच, चलकर अपने सहपाठी से मिल लूँ।
(दोनों की बात सुनकर जीतू भी वहां आ जाता है)
मोहन – यह तो मेरा भाग्य है कि आप (प्रोफेसर) जैसे आदमी इतनी इज्जत दे रहे है नहीं तो इस गांव में ही ऐसे लोग है जो थोड़ा सम्पन्न होने पर किसी से बात भी करना पसंद नहीं करते है।
प्रताप – यह सब ‘एजुकेशन’ का प्रभाव है क्यों जीतू?
जीतू (प्रताप को प्रणाम करते हुए) – वह तो मैं स्पष्ट तौर पर देख रहा हूँ कि आप ‘विद्या ददाति विनयम’ को चरितार्थ कर रहे है।
प्रताप – जैसे स्किल (हुनर) की आवश्यकता जीवन में होती है वैसे ही ‘एजुकेशन’ (पढ़ाई) का भी जीवन में बहुत महत्व रहता है।
मोहन – आप सत्य कह रहे है इसका प्रमाण यह जीतू है जिसने अपने ‘स्किल’ के बल पर अपना व्यापार खड़ा किया है।
प्रताप – स्किल और एजुकेशन जिसके पास होगा उसे सफल होने से कोई रोक नहीं सकता है।
प्रताप (मोहन से) – आप वर्तमान समय में क्या करते है?
मोहन – आप तो जानते है आर्थिक स्थिति से हमारी एजुकेशन अधूरी रह गयी अब जीविका के लिए नौकरी कर रहा हूँ।
प्रताप (कुछ सोचते हुए) – एक काम करोगे मोहन।
मोहन – आप हुक्म दीजिए, मैं तैयार हूँ।
प्रताप – हुक्म तो नहीं दे सकता, क्योंकि संविधान में सभी बराबर है।
जीतू – यह तो आपके एजुकेशन का ही प्रभाव है, नहीं तो आजकल ऐसी सोच वाले लोग कहाँ है?
प्रताप (जीतू को धन्यवाद कहते हुए) – हां, तो मैं कह रहा था कि मोहन आप फिर से एजुकेशन शुरू कर दो।
मोहन (हिचकते हुए) – हमारी स्थिति तो आप जानते है।
प्रताप – एजुकेशन के लिए सरकार लोन दे रही है लोन लेकर अपनी एजुकेशन पूरी करो।
मोहन – अगर लोन नहीं भर पाया तो भूखो मरने की नौबत आ जाएगी।
प्रताप – इतने निराश मत बनो, अगर लोन नहीं भर पाए तो आपका लोन मैं पूरा कर दूंगा लेकिन अपना एजुकेशन फिर शुरू करो।
मोहन (प्रताप को टालने की गरज से कहता है) – अब हमारी एजुकेशन की उम्र बीत चुकी है।
प्रताप – एजुकेशन के लिए ‘उम्र’ कोई बाधा नहीं है उनके उदाहरण भरे पड़े है।
जीतू – मोहन का लोन भरने में मैं भी कुछ योगदान कर दूंगा।
(मोहन कोई चारा न देखकर एजुकेशन के लिए तैयार हो जाता है)
प्रताप – एजुकेशन और स्किल दोनों पर फोकस करना तुम्हे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है।
जीतू – अच्छा, अब हम चलेंगे, हमारे धंधे का समय हो गया है।
(सभी लोग चले जाते है)
प्रताप (जाते-जाते) कहता है, एजुकेशन और स्किल दोनों ही आवश्यक है।
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