School Drama in Hindi PDF | स्कूल नाटक इन हिंदी डाउनलोड

इस आर्टिकल में हम आपको School Drama in Hindi PDF देने जा रहे हैं, आप नीचे की लिंक से इसे फ्री डाउनलोड कर सकते हैं और इसे पढ़ सकते हैं।

 

 

 

पात्र परिचय – रविंद्र, सौरभ, पीयूष (तीनो गांव के लड़के और कक्षा 5 के छात्र है)

 

 

स्थान – (राघोपुर गांव में रविंद्र का घर, रविंद्र स्कूल जाने के लिए तैयार होता है सौरभ और पीयूष का रविंद्र के घर पर आगमन)

 

 

सौरभ – रविंद्र, ओ रविंद्र, आज स्कूल नहीं जाना है क्या?

 

 

पियूष – यह रविंद्र भी स्कूल जाने में कितना देर करता है।

 

 

(घर के अंदर से रविंद्र की आवाज आती है)

 

 

रविंद्र – तुम दोनों चारपाई पर बैठो मैं अभी दो मिनट में तैयार होता हूँ।

 

 

(सौरभ और पियूष दोनों चारपाई पर बैठ जाते है सौरभ किताब निकालकर एक मशहूर लेखक की कविता ‘चेतक की वीरता’ पढ़ने लगता है)

 

 

पियूष – यह चेतक घोड़ा भी कितना फुर्तीला जानवर था।

 

 

सौरभ – हां, उसके कारण ही ‘राणा प्रताप’ हर संग्राम में विजयी होते थे।

 

 

पियूष – एक अपने रविंद्र भाई है, जो समय बीतने के बाद भी तैयार नहीं होते है जबकि यहां से चार किलोमीटर दूर पढ़ने के लिए जाना पड़ता है।

 

 

(रविंद्र तैयार होकर घर से बाहर आता है तीनो दोस्त स्कूल के लिए निकल पड़ते है)

 

 

सौरभ – रविंद्र तू स्कूल जाने में इतनी देर क्यों लगाता है?

 

 

रविंद्र – तुझे तो मालूम है कि स्कूल की पढ़ाई घर में पूरी करनी पड़ती है।

 

 

पियूष – क्या तुझे ही पढ़ाई करनी होती है, हमे नहीं, बहाने बनाना कोई तुझसे सीखे।

 

 

सौरभ – कितना अच्छा होता जो हम लोगों का स्कल नजदीक होता।

 

 

रविंद्र – इस बार हम लोग प्रधान चाचा से कहकर अपने गांव के करीब में ही स्कल बनवाने के लिए कहेंगे।

 

 

(तीनो छात्र स्कूल पहुंच जाते है)

 

 

(दूसरा दृश्य)

 

 

स्थान – (ग्राम प्रधान का घर गर्मी की छुट्टी में तीनो छात्र रविंद्र, सौरभ, पियूष ग्राम प्रधान के घर जाते है। ग्राम प्रधान पंकज के घर पर आदमियों की आवा जाही लगी रहती है)

 

 

पंकज – आओ बच्चो, कुशल मंगल तो है तुम लोगो का परीक्षा फल कैसा रहा।

 

 

रविंद्र – प्रधान जी, आपको नमस्कार, हम तीनो का परीक्षाफल अच्छा निकला हम पास हो गए है।

 

 

पंकज – अब आगे कहां नाम लिखवाना है?

 

 

सौरभ – यही बताने तो हम लोग आपके पास आये है।

 

 

पंकज – तुम लोग हमसे किस प्रकार की सहायता चाहते हो?

 

 

रविंद्र – प्रधान जी, प्राइमरी की शिक्षा के लिए हमे चार किलोमीटर जाना पड़ता था यदि आप अपने प्रयास से गांव के नजदीक ही स्कूल खुलवा दे तो आने वाले छात्रों के लिए बहुत सहूलियत हो जाएगी।

 

 

पंकज – मुझे बहुत ख़ुशी हुई, तुम लोगो के विचार जानकर मैने भी स्कूल न रहने की कठिनाइयों को झेला है मैं पूर्ण प्रयास करूँगा।

 

 

रविंद्र – धन्यवाद प्रधान जी! जो आपने हम लोगो की बात को सुना।

 

 

(प्रधान पंकज के प्रयास से गांव के नजदीक ही प्राइमरी से लेकर हाईस्कूल तक की शिक्षा के लिए स्कूल बन गया)

 

 

 

 

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