आखिर पेड़ बचाना क्यों जरुरी है और पेड़ बचेंगे तभी जब पेड़ लगाए जाएंगे। आज की यह स्क्रिप्ट इसी पर आधारित है तो चलिए इसे पढ़ते हैं और आप यहां से जल संरक्षण पर नाटक PDF भी पढ़ सकते हैं।
पात्र 1 – नरेश (छात्र)
पात्र 2 – सज्जन (अध्यापक)
(प्रिया, विमल, प्रदीप आदि छात्र समूह)
स्थान – (नरेश साइकल से स्कूल जाता है)
नरेश (सड़क पर साइकल चलाते) कितनी गर्मी पड़ रही है सड़क पर चलना दूभर हो रहा है।
विमल (पसीना पोछते हुए) – हां यार, बहुत गर्मी है।
प्रिया – हमारे पापा कहते थे उनके बचपन में सड़क के किनारो पर पेड़ो का समूह हुआ करता था जिससे राहगीरों को गर्मी से राहत मिलती थी।
नरेश – तुम्हारे पापा ठीक कहते है, पर———
प्रदीप – पर —– क्या?
नरेश – पर अब सड़क के किनारे पेड़ दिखना अतीत की बात हो गयी है।
प्रिया – क्या ‘अतीत’ लौट नहीं सकता है।
विमल – अतीत को लौटाना असंभव तो नहीं है पर मुश्किल जरूर है।
(सभी छात्र बाते करते हुए स्कूल में पहुंच गए, सभी पसीने से लथपथ थे)
सज्जन (अध्यापक) (क्लासरूम में) – आज तो गर्मी ने सारे रिकार्ड तोड़ दिए है।
नरेश – हां सर, आप ठीक कह रहे है।
(सभी छात्र अपनी कॉपी और दफ़्ती से हवा करते हुए सामूहिक स्वर में)
छात्र छात्राये – गर्मी के महीने में बिजली भी नहीं रहती है।
विमल (सज्जन से) – क्या सर, गर्मी से निपटने का कोई उपाय नहीं है।
सज्जन – बहुत सुंदर और प्राकृतिक उपाय है जिससे सभी को फायदा होगा।
(छात्रों का सामूहिक स्वर) – जल्दी बताइये सर।
सज्जन – आप सभी छात्र छात्राओं को एक संकल्प लेना पड़ेगा।
नरेश – कैसा संकल्प सर?
सज्जन – प्रत्येक छात्र छात्रा को सड़क के किनारे एक एक नीम का पेड़ लगाना होगा।
प्रिया – नीम का ही पेड़ क्यों सर।
सज्जन – नीम का पेड़ बहुत तेजी से तैयार होता है अन्य पेड़ की अपेक्षा इसके फायदे भी बहुत होते है इसे लगाने में ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ती है।
नरेश – आज से ही हम सभी छात्र सड़क के दोनों किनारो पर निम्बोली छींट देंगे बरसात होते ही नीम के पौधे तैयार होने लगेंगे।
सज्जन – फिर आप लोग देखना चार महीने बीतते ही सड़के हरी भरी हो जाएँगी।
विमल – फिर तो हम सभी छात्रों को स्कूल आने में गर्मी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
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