आज के इस आर्टिकल में हम आपको Bhrashtachar Par Natak PDF देने जा रहे हैं, आप इसे किसी भी वीडियो या यूट्यूब के लिए प्रयोग कर सकते हैं।
पात्र – नीरज वर्मा, मोहन मिस्त्री, गौतम अग्रवाल।
नीरज वर्मा – क्रिकेटर।
मोहन मिस्त्री – साइकल की दुकान चलाने वाला।
गौतम अग्रवाल – सामाजिक कार्यकर्ता।
(तीनो बचपन के दोस्त है)
स्थान – (मोहन मिस्त्री की साइकल की दुकान साइकल का पंचर जोड़ते हुए)
मोहन – इस साइकल का पंचर भी भ्रष्टाचार की तरह अंदर तक जड़े जमाये हुए है इसे ठीक करने के लिए पूरी साइकल उधेड़ना पड़ेगा।
(वहां कई लोग मोहन की वेवाक बात की तारीफ करते हुए हँसते है तभी वहां गौतम वर्मा आ जाता है)
गौतम – तुम ठीक कहते हो मोहन जब तक निचले स्तर तक ‘भ्रष्टाचार’ का इलाज नहीं होगा तब तक कोई कितना भी दावा करे भ्रष्टाचार खत्म नहीं होगा।
मोहन – आप तो सामाजिक कार्यकर्ता है मुझसे बेहतर तो आप ही जानते है।
(मोहन साइकल ठीक करता है तभी वहां नीरज आ जाता है)
मोहन – आओ नीरज! आज कितनी बाउंड्री लगा कर आये हो?
नीरज – मोहन भाई! तुम कहना क्या चाहते हो?
मोहन – हमारे कहने का आशय यह था कि तुम राज्य स्तरीय क्रिकेट टीम में चयनित होने के लिए कहां की बाउंड्री लगा चुके हो?
नीरज – मैंने तो बहुत बाउंड्री मारी, बहुत प्रयास किया, पर चयनकर्ता हमे मौका ही नहीं देते है।
गौतम – कैसे मौका मिलेगा तुम्हे, क्या तुमने चयनकर्ता के सेकेट्री को मिठाई का डब्बा दिया था?
नीरज – मुझे अपनी प्रतिभा पर भरोसा है।
मोहन – तुम अपनी प्रतिभा को चूमते रहो बिना मिठाई के डिब्बे के तुम्हे क्रिकेट में मौका नहीं मिलेगा।
गौतम – आज कल ‘मिठाई का डब्बा’ देने वाले ही सफल है या फिर तुम्हारी तरह साइकल की ‘वखिया’ उधेड़ने वाले सफल है।
(मोहन अपनी बड़ाई के लिए गौतम को धन्यवाद कहता है)
मोहन – आप भी तो सामाजिक कार्यकर्ता होने का दम भरते है फिर क्यों नहीं जनता को ‘मिठाई के डिब्बे’ वाली बात पर जागरूक करते है।
गौतम – तुम जनता को जागरूक करने की बात करते हो, उसमे ही कई लोग ‘मिठाई के डिब्बे’ को बढ़ावा देते रहते है।
मोहन – तब हर जगह सही प्रतिभा की उपेक्षा होती रहेगी ‘भ्र्ष्टाचार’ समाप्त नहीं होगा।
गौतम – ऐसा होना शायद मुमकिन नहीं है।
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